सिन्दूरी किया था हमने
वो हर पल हर लम्हा
जहन में समाया है
आज भी तू मन को मेरे
अपने आँखों के दर्पण में
आसुओ का सैलाब आया है
आंसुओ का सैलाब आया है
ये उन्ही हाथो से भरी थी माँग मैंने
आज उन्ही हाथो से तेरा कन्धा उठाया है
यु अस्को की नदी में भीग गया है मन मेरा
कोई मांझी मुझे आज बचाने नही आया है
की संग तेरे रहते हरदम
सताते रहते थे तुम्हे
तो आज उन्ही लम्हों ने मुझे खूब रुलाया है
वादा तुमने किया था साथ जियेंगे साथ मरेंगे
वादा तोड़ कर तुमने आज सितम ढाया है

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