वो कोयल की कूक सुन रहे थे हम
लेकिन आज उसमे सुर नही था मिलन का
जाने वो किन ख्यालो में खोई थी
या विरह का दर्द था अपने सजन का
रोज सुनते थे उसकी कूक हम
तो उसके एहसासों को भी जान लेते थे
आज कुछ बात तो जरूर है
जो हम भी समझ न पाए उसका मन
तान कुछ थी शब्द कुछ थे उसके
उसको सुनके मेरा मन भी हो रहा था दुखी
बात मै भी करना चाहता था उससे
क्योकि उस राह से गुजरा था मै भी कभी
क्योकि उस राह से गुजरा था मै भी कभी

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