फिर इसमें कैसा हर्ष,,,या प्रलाप क्यों ?????
विचार,,,,,,
जिन्दगी जीतते जीतते,,,किसी को जिताने के लिए हार जाना भी ,,,,,अप्रतिम जीत के समतुल्य ही होती है ,,,,,
फिर इसमें कैसा हर्ष,,,या प्रलाप क्यों ?????
फिर इसमें कैसा हर्ष,,,या प्रलाप क्यों ?????

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