सच में कितना अप्रतिम एहसास है ये की मैं चल रहा हूँ एक अनजाने सफ़र में बिना थके बिना रुके बस अकेला तन्हा चला जा रहा हूँ काफी देर बीत गयी और कुछ देर मुझे अकेले पन का एहसास हुआ तो सोचा कुछ अलग किया जाए तभी मेरी नजर बस की खिड़की से बहार की तरफ पड़ी जहां प्रकृति अक अनुपम नजारा था और उनमे जैसे मैं खो गया उन्ही एहसासों में मैं खोया हुआ था की एक किसी पेड़ की पत्ती का टुकड़ा मेरे पैर पर आकर गिरा वो देखने में बहुत सुन्दर लग रहा था मैं उसे कुछ पल निहारता रहा फिर धीरे धीरे वो एक साथी की तरह बाते करने लगा जाने कब उससे मेरी मित्रता हो गयी और सच में वो एहसास वो आनंद अच्र्य्जनक था मेरे लिए सच में प्रकृति के मनोरम रूप में ओझल होना बहुत आसान है बस आपकी काल्पनिक शक्ति और सोचने की क्षमता सुन्दर और निश्छल होनी चाहिए फिर ये निर्जीव भी हमे जीवित से प्रतीत होंगे ,,,और जिन्हें हम पराया समझते है वो भी हमे अपनों से बढ़कर लगेंगे इसीलिए सच में ये जिन्दगी बहुत ही खूबसूरत है बस इसको बेहतर ढंग से जीने की कला आपको पता होनी चाहिए
प्रकृति भी हमारे अच्छे मित्र की तरह है ,,,सुन्दर ,,,निश्छल,,,
सच में कितना अप्रतिम एहसास है ये की मैं चल रहा हूँ एक अनजाने सफ़र में बिना थके बिना रुके बस अकेला तन्हा चला जा रहा हूँ काफी देर बीत गयी और कुछ देर मुझे अकेले पन का एहसास हुआ तो सोचा कुछ अलग किया जाए तभी मेरी नजर बस की खिड़की से बहार की तरफ पड़ी जहां प्रकृति अक अनुपम नजारा था और उनमे जैसे मैं खो गया उन्ही एहसासों में मैं खोया हुआ था की एक किसी पेड़ की पत्ती का टुकड़ा मेरे पैर पर आकर गिरा वो देखने में बहुत सुन्दर लग रहा था मैं उसे कुछ पल निहारता रहा फिर धीरे धीरे वो एक साथी की तरह बाते करने लगा जाने कब उससे मेरी मित्रता हो गयी और सच में वो एहसास वो आनंद अच्र्य्जनक था मेरे लिए सच में प्रकृति के मनोरम रूप में ओझल होना बहुत आसान है बस आपकी काल्पनिक शक्ति और सोचने की क्षमता सुन्दर और निश्छल होनी चाहिए फिर ये निर्जीव भी हमे जीवित से प्रतीत होंगे ,,,और जिन्हें हम पराया समझते है वो भी हमे अपनों से बढ़कर लगेंगे इसीलिए सच में ये जिन्दगी बहुत ही खूबसूरत है बस इसको बेहतर ढंग से जीने की कला आपको पता होनी चाहिए
























