मित्रों प्रेम उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो सकता है किसी भी क्षण वो किसी मासूम बच्चे की खिलखिलाती हुई हंसी भी हो सकती है
किसी लड़खड़ाते कांपते कदमो को सहारा देने पर भी हम असीम े आनंद और प्रेम की अनुभूति होती है तो क्यों न हम प्रेम के इन अनंत स्वरूपो में डूब जाये मोह और ईर्ष्या रुपी जहर को त्यागकर
किसी लड़खड़ाते कांपते कदमो को सहारा देने पर भी हम असीम े आनंद और प्रेम की अनुभूति होती है तो क्यों न हम प्रेम के इन अनंत स्वरूपो में डूब जाये मोह और ईर्ष्या रुपी जहर को त्यागकर
हे ईश्वर।।।।।।।।।।।।।।
निर्मल मन
निर्मल मन

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