आज तरसा रहा है चाँद दीदार को अपने
हम भी एकटक निगाहो से ढूंढ रहे चाँद को
तारो के बीच कभी इधर तो कभी उधर
चल रही है आंखमिचौली उसकी
आज इंतज़ार का मतलब समझा
चाँद भी शरमाते हुए बदलो की ओट से झाँक रहा है जैसे
इंतज़ार पूरा हुआ
ये संगम है दो दिलो का
जो ना कभी टूटेगा
हर पल हर लम्हा बस साथ तुम्हारे बढ़ता रहेगा
चलता रहेगा
हम भी एकटक निगाहो से ढूंढ रहे चाँद को
तारो के बीच कभी इधर तो कभी उधर
चल रही है आंखमिचौली उसकी
आज इंतज़ार का मतलब समझा
चाँद भी शरमाते हुए बदलो की ओट से झाँक रहा है जैसे
इंतज़ार पूरा हुआ
ये संगम है दो दिलो का
जो ना कभी टूटेगा
हर पल हर लम्हा बस साथ तुम्हारे बढ़ता रहेगा
चलता रहेगा


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