- ये जिंदगी क्यों इतनी नीरस हो गयी यहाँ तो मेरे पास सब कुछ है सिर्फ तुम्हारे सिवा फिर भी मन में आज ऐसा क्यों प्रतीत हो रहा है क्या ये प्रेम में विरह की पीड़ा है या फिर और कुछ। कुछ भी समझ नही आ रहा है न ही कुछ करने को मन हो रहा है न ही कही आने का न ही कही जाने का ये क्या है क्या मै प्रेम से परिचित हो रहा हु या ये समय मुझे इस से अपना परिचय कराना चाह रहा है
और क्या है प्रेम की वास्तविकता क्या हम एक दूसरे से जुदा होते है तभी हमे वास्तविक प्रेम का एहसास होता है या हमारा छोटी छोटी बातो पर लड़ना झगड़ना रूठना फिर मनाना ये भी प्रेम का ही स्वरुप है हाँ मैंने कभी कभी ये एहसास जरूर किया है की जब थोड़े थोड़े अंतराल पर हम अपने परिवार से दूर होते है तो हमे अपनी कमियों का भी एहसास होता है और अपनों के प्यार का भी एहसास होता है लेकिन दूर होकर ही क्यों मै ये जानना चाहता हूँ - क्यों अपनी ही राह में हम मुसाफिर की तरह है
मुहब्बत को अपना आशियाना बना ले गर
मंजिले है बहुत इस राह में
कुछ सीधी है कुछ टेढ़ी है
कुछ का नहीं है पता तो
कुछ खुद ढूंढ रही है अपने पते को
मुहब्बत को अपना आशियाना बना ले गर
मंजिले है बहुत इस राह में
कुछ सीधी है कुछ टेढ़ी है
कुछ का नहीं है पता तो
कुछ खुद ढूंढ रही है अपने पते को - मेरे कान्हा भी कभी कभी मेरे साथ सरारत करते है कभी कभी मुझे सताते है आज सुबह मई मंदिर में उन्हें स्नान करा रहा था उसके पहले उनका मुकुट और माला और उनके कपडे उतार रहा था की स्नान कर लो लेकिन कभी वो अपना माला खीच रहे कभी अपना मुकुट नही दे रहे कभी इधर कभी उधर भाग रहे मुझे भी इनकी ये सरारत देख कर मन ही मन आनंद मिल रहा था और मै बार बार पुकार रहा कान्हा कान्हा इधर आइये मुझे और भी काम है लेकिन वो कहा मानने वाले वो आगे आगे मै पीछे पीछे आखिर थककर मई एक तरफ बैठ गया तो अपनी मनमोहक मुस्कान के साथ मुस्कराते हुए मेरे पास आकर बैठ गए मैंने भी कहा की आप मुझे सताना चाहते थे ना
भाइयो ऐसा रोज होता है मेरे और मेरे कृष्णा के बीच क्या आप भी कभी बात करने की कोशिश किये अगर नही तो एक बार करके देखिये मै सच कहता हु इतना आनंद आपको कही नही मिलेगा
जय श्री कृष्णा
जय जय श्री कृष्णा - यूं टूट कर न रो मेरे दिल इस क़द्र
यहाँ कोई नही है तेरी सुनने वाला
रो रो के सायद ही आत्मा भीग जाये तेरी
रूह काँप जाये चाहे देखने वालो की - वो इसारे से समझाना
अंजानी भाषा में बात करना
कुछ भी कहने में असमर्थ शब्दों से
लेकिन इसारो से बया करना
वो तुतलाती हुई जुबा से
नन्हे नन्हे कदमो पे आना
कभी गिरना कभी सम्भलना
फिर उठके मेरी गोदी में आना
वो मासूमियत वो मुस्कान
याद रहेगी मेरे दिल हमेसा
मेरा नन्हा सा दिल
जाने मुझसे क्या कहता
इन पलो में जैसे सारा जहां समय है
जन्नत की शैर से काम नही ये पल मेरे लिए
मेरे लाल तू जुग जुग जिए
मेरे लाल तू जुग जुग जिए
मेरे लाल तू जुग जुग जिए - चाहत अभी अधूरी है दोस्त
क्योकि चाँद खेल रहा है आंखमिचौली
आजाओ फलक पे ये इल्तेजा है मेरी
मत सताओ मेरी मुहब्बत को
प्यासी वो है तो बेचैन है हम भी
आ जाओ आ जाओ आ जाओ
बस कुछ साँसे है अधूरी - एक अधूरा जहां अधूरे लोग अधूरी नियत अधूरी इंसानियत
ये कहा आ गए ख़ुदा जहा न लोगो के पास दिल है
न ही इंसानियत न ही एक दूसरे से बोलना चाहते है
सिर्फ और सिर्फ पत्थर की मूर्ती है
सब अपने अहम में खोये हुए है
यह मै ही मै है हम नही है
झूठा संसार है झूठे लोग
इस से तो अच्छी थी अपनी मिटटी
अपना घर अपना सहर अपनी धरती अपना देश
नही चाहिए मुझे धन
नहीं चाहिए मुझे दौलत
मुझे चाहिए दिल का जहां
दिलवाले लोग सच्चे दोस्त - वो मुस्कराती हुई शाम याद आती है
जब शाम ढलते ही जम्हाई आती थी
मन से एक आवाज आती थी की
एक चाय की प्याली मिल जाए
हम भी धीमी आवाज में डरते डरते कहते थे
अजी सुनती हो शाम ढलने को है
उधर से तेज और कुछ भुनभुनाती हुई आवाज आती
हां पता है मुझे मुझसे ज्यादा किसकी जरुरत है तुम्हे
हम भी थोड़ा बहलाते थे थोड़ा फुसलाते थे
कभी कभी अपने कान पकड़कर उनको मनाते थे
लगा दिल पिघला चेहरे पे एक मुस्कान आई
जाओ आप भी रुला देते हो कभी कभी
हम दोनों भावनाओ के प्रवाह में बहने लगते थे
ठीक है ठीक है आपकी चाय मई दो पल में लाई
वो रसोई में जाती हम पीछे से पहुंच जाते
मन ये कहता कुछ शरारत करे
पीछे जाके भर लेते थे अपनी बाहो में
सिर्फ ये एक चाय की कहानी नही है
ये हमारे जिंदगी के हसीं पहलू है
जो तन्हाई में कभी हमको हँसते है
तो कभी कभी हँसाते हँसाते रुला जाते है
अजीब है ये प्यार ये मुहब्बत - हमे काफ़िर समझे दुनिया तो समझने दो
पर हम तुम्हारी इबादत करेंगे
टूट जाये चाहे जितने महल सपनो के
लेकिन दिल न टूटने देंगे अपनों के
हर तूफ़ान से लड़ेंगे
कभी गिरेंगे कभी संभलेंगे
आसमा पे उड़ने की ख्वाइश नही है मेरे दोस्तों
उनको मुमताज तो हम मुहब्बत के शाहजहाँ बनेंगे
बंदगी करेंगे हमेसा हर दिल की
जो मुहब्बत को जिंदगी समझते है
हमे काफ़िर समझे दुनिया तो समझने दो
पर हम तुम्हारी इबादत करेंगे - क्यों हम इनकी बात करे जो हमारी नही सोचते है
जो सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ से जुड़े हुए है
इनका धर्म इनका कर्म इनका ईमान
और यह तक इनकी रोजी रोटी भी स्वार्थ से सनी हुई है
ये सिर्फ अपनी कुर्सी से प्यार करते है नाही हमसे नाही हमारे देश से
ये सफ़ेद कपड़ो में लुटेरे है
तो हम क्यों इनका विस्वास करे
हर पल हर लम्हा इन्होने हमारे सपनो को चकनाचूर किया है
तो हम क्यों इनसे प्यार करे
ये राजनेता है इनको तुच्छ और गन्दी राजनीती करनी है
बस और कुछ नही
नहीं इनको अपने शब्दों पर नियंत्रण है नाही अपनी वाणी पर
ये हर शब्द पर राजनीती करते है
तो क्यों न हम इनका तिरस्कार करे - he smiles miss Evening
When sunset came yawning
A voice came from the mind of
Get a cup of tea
We used to say in a low tone gingerly
O listen to the evening’s set!
The voice was sharp and Bhunbhunati
Ya know what I need you more than me
We were also a little amused were Fuslate
He grabbed his ears were occasionally observed
I put a smile on your face melt hearts
You do get the occasional cry too
We both seemed to flow into the flow of emotions
May your tea brought two right moment
She walked back into the kitchen we
It calls to mind some mischief
Go back to your arms, and took over the
It is not just the story of a tea
This aspect of our lives haseen
Sometimes we laugh at the Loneliness
Are sometimes laugh laugh then cry
Strange Love it love it
In love tease and Srart

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