सोलह श्रृंगार से सजूँगी आज मै
माथे पे चमकीली बिंदी और मांग में कुमकुम भरूँगी
इंतज़ार पल पल करूंगी निर्मोही चन्दा का
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
आस्था और विस्वास का प्रतीक है ये मिलन
आज इस नदी का होगा अपने सागर से संगम
अपने अंगना को सुन्दर रंगोली से सजाऊँगी
नन्ही बेले चारो कोनो में लगाउंगी
सारा दिन मै मंत्रोच्चार करूंगी
धैर्य की नदी बन के आज मै बहुंगी
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
***************************************
आज एहसास हो रहा है की कितना प्यार है और कितना दर्द होता है बिछड़ने में
लेकिन कुछ पल बहुत ख़ास होते है जो विशेष रूप से एहसास कराते है
आज आंखे भी नम है और दिल में दर्द भी है लाख बाते करने का मन हो रहा है ये रात तुम्हारे साथ गुजरने का मन कर रहा है लेकिन सिर्फ सोच तक ही सीमित हु
बंधन है समय का मजबूर किया है उसने हम दोनों को दूर करके देखते है इस समय में ताकत है या हमारे प्यार में कब तक हमे हम से दूर रखता है वो बहुत खुशनसीब है जिन्हें ये पल नसीब हुए हम भी इंतज़ार करेंगे उस लम्हे का जब वो हमारी जिन्दगी से ,हमारी धडकनों से ,हमारी साँसों से वो दीदार कराएगी
ये मेरी तन्हा मुहब्बत है जिसने हमे तन्हा किया है इस अनजाने दर्द का एहसास कराया है हमे दूर करके
लेकिन इसके साथ ही दूरिया बढ़ी तो प्यार भी बहुत बढ़ा
हमे तुमसे हुआ है प्यार हम क्या करे
आप ही बताओ हम कैसे जिए
***************************************
आज दिल बेचैन है तुम बिन
आज के दिन भी जो दूर हु तुमसे मै
ये सात समंदर कई दीवारों की तरह है
जिन्हें तोडना आज मेरे बस में नही है
मन भारी भारी लग रहा है
आज दिल बेचैन है तुम बिन
गिला है आज खुदा से मुझे
जो उसने दूर किया खुद से
ये विरह की पीड़ा कैसी है
की इसमें जल रहे हर दिन
की इसमें जल रहे दिन दिन
थी बाहों में पनाहों में राहो में निगाहों में
हर लम्हों में तुम होती थी
मेरे दिन मेरी रातो में
आज खुद ही पडा तन्हा
हर मंजर हर लम्हा सूना
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माथे पे चमकीली बिंदी और मांग में कुमकुम भरूँगी
इंतज़ार पल पल करूंगी निर्मोही चन्दा का
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
आस्था और विस्वास का प्रतीक है ये मिलन
आज इस नदी का होगा अपने सागर से संगम
अपने अंगना को सुन्दर रंगोली से सजाऊँगी
नन्ही बेले चारो कोनो में लगाउंगी
सारा दिन मै मंत्रोच्चार करूंगी
धैर्य की नदी बन के आज मै बहुंगी
आज अपने पिया के बाहों का हार मै बनूंगी
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आज एहसास हो रहा है की कितना प्यार है और कितना दर्द होता है बिछड़ने में
लेकिन कुछ पल बहुत ख़ास होते है जो विशेष रूप से एहसास कराते है
आज आंखे भी नम है और दिल में दर्द भी है लाख बाते करने का मन हो रहा है ये रात तुम्हारे साथ गुजरने का मन कर रहा है लेकिन सिर्फ सोच तक ही सीमित हु
बंधन है समय का मजबूर किया है उसने हम दोनों को दूर करके देखते है इस समय में ताकत है या हमारे प्यार में कब तक हमे हम से दूर रखता है वो बहुत खुशनसीब है जिन्हें ये पल नसीब हुए हम भी इंतज़ार करेंगे उस लम्हे का जब वो हमारी जिन्दगी से ,हमारी धडकनों से ,हमारी साँसों से वो दीदार कराएगी
ये मेरी तन्हा मुहब्बत है जिसने हमे तन्हा किया है इस अनजाने दर्द का एहसास कराया है हमे दूर करके
लेकिन इसके साथ ही दूरिया बढ़ी तो प्यार भी बहुत बढ़ा
हमे तुमसे हुआ है प्यार हम क्या करे
आप ही बताओ हम कैसे जिए
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आज दिल बेचैन है तुम बिन
आज के दिन भी जो दूर हु तुमसे मै
ये सात समंदर कई दीवारों की तरह है
जिन्हें तोडना आज मेरे बस में नही है
मन भारी भारी लग रहा है
आज दिल बेचैन है तुम बिन
गिला है आज खुदा से मुझे
जो उसने दूर किया खुद से
ये विरह की पीड़ा कैसी है
की इसमें जल रहे हर दिन
की इसमें जल रहे दिन दिन
थी बाहों में पनाहों में राहो में निगाहों में
हर लम्हों में तुम होती थी
मेरे दिन मेरी रातो में
आज खुद ही पडा तन्हा
हर मंजर हर लम्हा सूना
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ये जान चली जाएगी तुम बिन
तुम्ही हो राधा तुम्ही हो मीरा
तुम्ही हो दिन मेरा तुम्ही सवेरा
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
तुम ही हो मेरे विरह की पीड़ा
वृन्दावन की हर गली मेरा मन
गौए गोपी मेरे दिल की धड़कन
कैसे तुम्हे सताए कैसे रास रचाए
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
आ जाओ मेरे अब प्रियतम तुम
मत भटकाओ मत तरसाओ
मत पल पल हर पल
मुझको तडपाओ
ये जान चली जायेगी तुम बिन
तुम्ही हो दिन मेरा तुम्ही सवेरा
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
तुम ही हो मेरे विरह की पीड़ा
वृन्दावन की हर गली मेरा मन
गौए गोपी मेरे दिल की धड़कन
कैसे तुम्हे सताए कैसे रास रचाए
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
मन की सूनी अब राह है तुम बिन
हर लम्हा मेरा बीत रहा तुम बिन
आ जाओ मेरे अब प्रियतम तुम
मत भटकाओ मत तरसाओ
मत पल पल हर पल
मुझको तडपाओ
ये जान चली जायेगी तुम बिन
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सहारे आदमी को कमजोर बना देते है
और वक़्त के मुसाफिर उसे बैसाखियों पर बिठा देते है
फिर चलना तो हम चाहते है कुछ कदम मगर
वो हर पल हर कदम पे गिरा देते है
और वक़्त के मुसाफिर उसे बैसाखियों पर बिठा देते है
फिर चलना तो हम चाहते है कुछ कदम मगर
वो हर पल हर कदम पे गिरा देते है
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एहसासों की चिलमन भी क्या कमाल होती है
जो हमारे दिल से जाने कितने बवाल करती है
इसके लिए मन में रोज कोहराम मचता है
इस मुहब्बत की वजह से मेरा तमाशा ए आम होता है
फिर भी लगता है मेरी यही रोजी रोटी है
क्योकि इससे ही मेरा दिन शुरू होता है
और इसके संग ही रात गुजरती है
What is also amazing drapery of feelings
When our heart is so organically
The daily mayhem breaks out of mind
My show is a common result of the mash
That is my bread and butter is still the
Because it starts my day
And pass the night with
जो हमारे दिल से जाने कितने बवाल करती है
इसके लिए मन में रोज कोहराम मचता है
इस मुहब्बत की वजह से मेरा तमाशा ए आम होता है
फिर भी लगता है मेरी यही रोजी रोटी है
क्योकि इससे ही मेरा दिन शुरू होता है
और इसके संग ही रात गुजरती है
What is also amazing drapery of feelings
When our heart is so organically
The daily mayhem breaks out of mind
My show is a common result of the mash
That is my bread and butter is still the
Because it starts my day
And pass the night with
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अब मन पे नशा छाने लगा है
खुली आँखों से कोई अपना बनाने लगा है
चद्दर से ढकने की बहुत कोशिश की मैंने
फिर भी मेरे बाजू में आके वो मुझको सताने लगा है
खुली आँखों से कोई अपना बनाने लगा है
चद्दर से ढकने की बहुत कोशिश की मैंने
फिर भी मेरे बाजू में आके वो मुझको सताने लगा है
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हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है
जब सामने आते तो घबरा जाते है हम कुछ इस कदर
लेकिन तेरे जाने के बाद तेरी तस्वीर से बात करते है
तसव्वर में रहते हो मेरे हमेशा ही
साथ हो नही मेरे
फिर भी परछाई बनके साथ चलते हो
होता है जब अँधेरा दूर होता है जब सवेरा मुझसे
जब लगता है तन्हाई में डर मुझको
आके धीरे से चुपके से
मेरी बाहों के हार बनते हो
हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है
जब सामने आते तो घबरा जाते है हम कुछ इस कदर
लेकिन तेरे जाने के बाद तेरी तस्वीर से बात करते है
तसव्वर में रहते हो मेरे हमेशा ही
साथ हो नही मेरे
फिर भी परछाई बनके साथ चलते हो
होता है जब अँधेरा दूर होता है जब सवेरा मुझसे
जब लगता है तन्हाई में डर मुझको
आके धीरे से चुपके से
मेरी बाहों के हार बनते हो
हमे तुझसे कितनी मुहब्बत है
ये हम जानते नही है मगर
लेकिन तुझकोअपने
हर लम्हों में तलाश करते रहते है
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है दरिया जो समेट रखा इस दिल नेउसकी मंजिल सायद तुम्ही हो लाख टुकड़े करो तुम मेरे ख़त के दिल तोड़ो तुम हजार बार मत देखो मुझे अपने सपनो में तो क्या लेकिन क्या याद रखोगी की क्या दीवाना मिला है जिसको तुमने पल पल हरपल बेगाना किया है हा आज भी मेरे दिल की हसरत तुम ही हो
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ये कैसा अभिशाप है मैंने क्या पाप किया है क्या आज के जीवन में गरीबी अभिशाप है मै कल भी पूछता था और आज भी पूछता हु और सायद कल भी यही सवाल होगाकी क्या गरीब होना पाप है दासता तो हमे वरदान में मिली है जिन्दगी बस और बस इसी चूल्हे चौके में बीती है सपने भी देखने का हक़ नही है हमे और हम खुशियों के मोहताज है बस हर लम्हा धीरे धीरे निकल रहा है कभी तपती दोपहर में तो कभी चुभती है सर्द हवाएपल तब भी नही कटतापल अब नही कटता कभी तो इस मजबूरी से थोड़ी दूरी हो जाए मगरलगता है इससे भी बचपन का साथ है दो वक़्त की रोटी के लिए हम कैसे तरसते है तो कुछ लोग मखमली रोटियों को रोड पर फेकते है इक आह सी निकलती है ये सब देखकर ये भी जाने कैसा एहसास है ये कैसा अभिशाप है ये कैसा अभिशाप है

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