- सावरी सी सखी अब जवा मै हुई
वर्षो देखे है सपने सावरे के मैंने
अब निकट आ गया उनसे मिलने का भी
जिसकी सदियों से मैंने है राह तकी
नयनो में इन्तजार मद्धम धडकन हुई
सावरी सी सखी अब जवा मै हुई - वो ऊँगली पकड़ना नन्हे हाथो से
तुतलाते हुए जो शब्द कहे
वो आज भी याद आते है
वो आज भी याद आ जाते है
वो उम्र थी क्या ये उम्र है क्या
फिर भी नयन ये रो जाते है
फिर भी ये नयन रो जाते है
वो आज भी याद आ जाते है
कुछ पग चलना चलके कहना
मुझे गोद में लो
मै थक गया हु
मै कहता तूम थोडा और चलो
वो जिद करने लग जाते है
धीरे से उठाकर काँधेपर
वो जाने क्या गुनगुनाते है
फिर भी ये नयन रो जाते है
वो आज भी याद आ जाते है
तेरी यादे वही पर तू संग नही
मै ढूढू अपने अंग में कही
ये नयन भी मुरझा जाते है - मै फूल हु तेरी बगिया का
मै निश्छल हु मै निर्मल हु
फिर भी न जाने दुनिया को
है प्यार नही मुझसे
तेरा आँचल मुझको मिल जाये
तेरी गोद में मुझको नींद आये
तू (माँ ) कहती है तुझसे रौनक
है मेरे सूने आँगन की
तेरी हंसी सुनु चेहरा खिल जाये
जो रोये गम के बादल छाए
माँ कहती है तू ही तो है
संसार मेरे मन के आँगन की
फिर भी न जाने दुनिया को
है प्यार नही मुझसे
अपशब्द कहे कई नाम रखे
हर पल मेरा प्रतिकार करे(समाज )
मेरे जीवन को अन्धकार कहे
वो जैसे मुझे यमराज लगे
तू हर पल मेरी परछाई बनी
ये दुनिया चाहे प्रतिकार करे
पर तू मेरी माँ मुझसे प्यार करे
पर तू मेरी माँ मुझसे प्यार करे
पर तू मेरी माँ मुझसे प्यार करे
दुनिया की मुझे परवाह नही
जिसको मेरी कोई चाह नही
बस तू मेरी माँ मुझे प्यार करे
बस तू मेरी माँ मुझे प्यार करे
ये दुनिया चाहे प्रतिकार करे
पर तू मेरी माँ मुझसे प्यार करे
पर तू मेरी माँ मुझसे प्यार करे
पर तू मेरी माँ मुझसे प्यार करे
दुनिया की मुझे परवाह नही
जिसको मेरी कोई चाह नही
बस तू मेरी माँ मुझे प्यार करे
बस तू मेरी माँ मुझे प्यार करे
- मुहब्बत की गली में गुजर कर हम भी देखेंगे
है जो दरिया उसमे उतरकर हम भी देखेंगे
मुहब्बत की गली में गुजर कर हम भी देखेंगे
है जो दरिया उसमे उतरकर हम भी देखेंगे
विवश हम भी विवस तुम भी
विवश ये मन भी मेरा है
है दिल डूबा है तन डूबा मेरा मन भी दीवाना है
जमाने से ये जमाना मुहब्बत से बेगाना है
सितम करले और तडपा ले जमाना याद रखेगा
खता है उनकी नजरो में तो करके हम भी देखेंगे
मुहब्बत की गली में गुजर कर हम भी देखेंगे
है जो दरिया उसमे उतरकर हम भी देखेंगे - है समंदर भी अब तो दीवाना हुआ
बूँद पाने को उसकी तड़प सा रहा
वो चली हा चली वो चली मनचली
इठलाते हुए वो चली रे चली
बलखाती हुई शर्माती हुई
बेखबर अपने महबूब से वो बावरी
प्यासी वो भी है लेकिन समझती नही
दर्द उसको भी लेकिन वो कहती नही
राहे आसान नही है मुस्किल घडी
है मुहब्बत में उसको भी कुछ हो रहा
मन ही मन उसका तन मन है खिल रहा
है समंदर भी अब तो दीवाना हुआ
बूँद पाने को उसकी तड़प सा रहा - मुहब्बत के लिए कुछ शब्द ही जरूरी है
अगर हमे मुहब्बत करनी आती है
हमारे लाब्जो में प्यार हो
और उसमे प्यार का एहसास हो
उस प्यार में विस्वास हो
ना आकर्षण हो ना वासना हो
सिर्फ मिलन की प्यास हो
आँखों में उनका इंतज़ार हो
ख्वाबो में उनका दीदार हो
तन्हाइयों में बात हो
जब कोई न मेरे साथ हो
हो तुम्हारी कल्पना
मेरी भावना मेरे पास हो
लाखो मील भी दूर होकर
दिल के मेरे पास हो
तुम दिल के मेरे पास हो
तुम दिल के मेरे पास हो
- आज फिर छोड़ गए वो हमसे वादा करके
आज फिर छोड़ गए वो हमसे वादा करके
जिस्म को छोड़ गए जान को आधा करके
आज फिर छोड़ गए वो हमसे वादा करके
आज फिर छोड़ गए वो हमसे वादा करके
जिस्म को छोड़ गए जान को आधा करके
आज फिर छोड़ गए वो हमसे वादा करके
आज फिर छोड़ गए वो हमसे वादा करके
ढेरो तन्हाई की राते
लाखो अब पळ है तुम बिन
ढेरो तन्हाई की राते
लाखो अब पळ है तुम बिन
कैसे ये वक़्त गुजरेगा
कहि साँसे न जाये थम
कैसे ये वक़्त गुजरेगा
कहि साँसे न जाये थम
ये कहता है हर लम्हा मेरा
आ जाओ आओ प्रियवर तुम
आज फिर छोड़ गए वो हमसे वादा करके
आज फिर छोड़ गए वो हमसे वादा करके
जिस्म को छोड़ गए जान को आधा करके
आये थे दिल ये तोड़ने वो इरादा करके - इस मरु भूमि में आकरके तुमने श्रृंगार सजाया है
नैनों की इन लताओं में अस्को का दरिया समाया है
कुछ अपने दिल की बात कहो
जो बीती तन्हा रातो में
कुछ हम भी कहेंगे तुमसे सखी
जो दरिया बह कर आया है - वो नाम है वो पल है
वो हम है वो तुम हो
तुम में हम है
हम में तुम हो
हम एक दूसरे में गुम है
इन बाहो के दरमियाँ
एक धरती है तो
एक आसमा
देख रहे है दोनों उस छोर को
जहाँ पर दोनों मिलते है
नही है कोई भेद
नही है कोई अंतर
नाही कोई अलग कर सकता
नाही हम होंगे अलग
बस यही आरज़ू है दिल में
की ठहर जाये ये जमी
ठहर जाये ये आसमा
ठहर जाये ये दोनों जहां
ठहर जाये ये हरपल
ठहर जाये ये हरपल - राजनीति का शब्द अब अपसब्द जैसे बन गया
नैतिकता का जैसे अब पतन इनमे हो गया
मानसिकता का स्तर इस क़द्र गिर जायेगा इनमे
इनके लिए अब खुदा भी मुसाफिर हो गया
राजाओ की नीति इतनी अभद्र हो जाएगी
शब्दों की शीमा अपशब्दों में बंध जाएगी
हर कोई होगा दुस्साशन हर गली में पाप होगा
द्रौपदी की तरह हर नारी असहाय हो जाएगी
उसके हर श्रृंगार को लूटने जब दुर्योधन आएगा
तब कोई क्या कृष्णा की तरह इनकी लाज बचाएगा
तब कोई क्या कृष्णा की तरह इनकी लाज बचाएगा

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