- ये क्या हुआ इन सफेदपोशो को
क्यों हमारी डूबी लुटिया डुबोना चाहते है
हम तो उठ नही सकते है ये मालूम है हमे
फिर ये क्यों हद से ज्यादा अपने को गिराना चाहते है
वादो को करना और तोडना तो इनकी फितरत है
हमे दर्द बहुत मिला है जमाने से
फिर ये क्यों तड़पाना चाहते है हमे - प्यार और आकर्षण में बहुत अंतर होता है न जाने आज की पीढ़ी इसको पहचान ने में क्यों भूल करती है
प्रेम सागर की तरह विशाल है
तो आकर्षण बहुत ही सूक्ष्म है
प्रेम में दया है करुणा है
तो आकर्षण में वासना है
प्रेम पापहीन है
आकर्षण पाप में लीन है
प्रेम हमे जीना सिखाता है
तो आकर्षण गहरे खड्डे में गिराता है
फिर हम क्यों नही पहचान पते है - आजकल हम क्यों मनुष्यता पर प्रहार करने से नही चूकते है क्यों कभी कभी हम मासूमियत का भी गाला घोटने से हिचकिचाते नही है आजकल की दिनचर्या अपनी संस्कृति से खिलवाड़ ये क्या है क्यों हम इतने क्रुद्ध और निर्मम होते जा रहे है क्या दया भाव का लोप होता जा रहा है ऐसा क्यों सायद हम अत्यधिक स्वार्थी हो गए है और इतना की सिर्फ मै ही मैं दिखाई देता है और कछ दीखता ही नही हमारे आँखों के सामने उजाला होते हुए भी हम अन्धकार में ही जीना चाहते है या आदी हो गए है ऐसी दिनचर्या के लिए क्यों हम बदल नही सकते है क्या ये इतना कठिन कार्य है हमे बदलना होगा
सायद बदलाव ही उपाय है लेकिन ऐसा नही जैसा आजकल है - आज खुद मेहरबान है मुझपर
उसकी इनायत कुछ ज्यादा ही आज है
कुछ तो बात है आज में
की मुकद्दर आसमा पे है
छु लेने का मन आज चाँद और तारो को है
क्योकि आज गुलसिता ही मेरे पास है आमीन आमीन - छिति जल पावक गगन समीरा , पंच रचित अति अधम सरीरा’
इन्ही पंचतत्वो से मिलकर हमारे शरीर का निर्माण हुआ है ..
जिससे हमारे शरीर का निर्माण हुआ उसी को हम नष्ट कर रहे है
और हम भी अपने अंत की ओर जा रहे है क्यों हम लोग सब कुछ जानते हुए भी अपनी प्राक्रतिक संपदा को नष्ट कर रहे है , - जब मै अपने देश भारत में था तो सोचता था की यहाँ के लोग कितनी राजनीती खेलते है लेकिन अब जब मै बहरीन में हु तो यहा तो बहुत ज्यादा हमारे देश के लोग ही हमे नही देखना चाहते है
लोग एक दूसरे से बात करने में अपनी बेज्जती समझते है जो अपने देश में सिर्फ पेंट शर्ट पहनते थे यह आकर टाई पहनना सीख लिया है तो ये समझने लगे की वो बहुत बड़े हो गए है उनके बराबर कोई है ही नही लेकिन क्या शूट बूट पहनने मात्र से आदमी सभ्य हो जाता है क्या

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