कुछ शब्द तुम्हारे लिए Kavita house 8:08 AM No comments की इक बार फिर से वो हंसी रात आ जाए जिसमे हो तुम और महकता सा नशा मचले हम भी उस आगोश में खोकर के इस कदर वही सावन की घटा झूम कर फिर आज आ जाये की इक बार फिर से वो हंसी रात आ जाए........................... जिनमे राते थी अजनबी और हर लम्हा था बेवफा मेरा मन कहता था रुक जा लेकिन वो नही था थमता जो रुक जाते वो लम्हे वो कायनात रुक जाती वो तबस्सुम तेरे चेहरे का देखकर चांदनी थी इतराती उड़ के हवा के झोको संग वो मेरी यादो में चले आये की इक बार फिर से वो हंसी रात आ जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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