- वो घटा जो हम पे बरस जाये तो
कोई सितमगर हम पे जो सितम ढाये तो
खुसबू उस चमन की नसीब में नही
फूल न सही काटे ही मिल जाये जो
है उनके ही हम वो हमारे नही
चाँद है वो हमारे
हम सितारे सही
उनकी रोसनी से रोशन हो जाये तो
ताकते हम रहेंगे उनको ताउम्र यु ही
जिंदगी बना लेंगे कसम खुदा की
हकीकत में न सही ख्वाब में आये तो
वो घटा जो हम पे बरस जाये तो
कोई सितमगर हम पे जो सितम ढाये तो - आगोश में अपने तुझे ले तो लूँ लेकिन
वक़्त कहता है अभी नही अभी नही
मै हूँ मसगूल थोड़ा अपनी मुहब्बत संग
अंग से अंग उनके मिलालूं तो सही
नजरे कहती है मै शर्म से झुक जाऊ गर
वो कहती है कुछ लम्हों के लिए ठहर जाओ जी
तन भी है संग मन भी है संग और
जहन से जहन में घुल गया है कही
ढूंढता तो चाहता हूँ उनको
उनमे खोकर के लेकिन
कुछ इरादा बदला सा है
कुछ ये मन समझता है नही
कैसा ये नशा है ये
ये कैसी दिस्नागी है
की बाहो के झुरमुट में उनके
जिंदगी खो गयी कही
उसको खोजने में भी मजा आरहा है
कभी उनके आँचल में तो कभी
बालो के घने बादल में ढूंढ रहा है ये दिल
ये सब भी खूब हंसी है
बिना मद के ही जो है हम नशे में लेकिन
आगोश में अपने तुझे ले तो लूँ लेकिन
वक़्त कहता है अभी नही अभी नही - प्यास लग रही है तुझको पीने की
घुल जाओ तुम मुझमे और मै तुझमे कही
ये लम्हा ठहर जाये जो आस मेरी पूरी हो जाये तुझ संग जीने की - उनकी महफ़िल में हम बेगाने हो गए
जबसे वो किसी और के दीवाने हो गए
समय के ये सिलसिले पुराने हो गए
उनकी महफ़िल में हम बेगाने हो गए
कोशिशे बहुत की हमने समझाने की
मन्नते भी की उनको मनाने की
वो न समझे हमारे दिल के हालात को
न समझे हमारे वो जज्बात को
वक़्त के हाथ खिलोने बन गए
उनकी महफ़िल में हम बेगाने हो गए - आ जाओ मेरे प्रियवर तुम
इन बाहो का श्रृंगार बनो
तुम मेरे गले का हार बनो
तुम मेरे गले का हार बनो
दिन ढल सा गया
है शाम ढली
है मिलन की बेला
आ ही गयी
आ जाओ अब तुम प्रेम गली
आ जाओ अब तुम प्रेम गली
ये नयन तुम्हारे प्यासे है
जो देखे तुम्हारे यौवन को
तन मन की सुध न मुझे रही
हर अंग को मिलन की प्यास जग
आ जाओ अब तुम प्रेम गली - ये मेरे बचपन की बगिया है
जिसको मैंने अपने सपनो से सींचा है
कुछ ख्वाब देखे इस आँगन में
जिसमे गिरते सम्भलते बहुत कुछ सीखा है
है कुछ बेगाने तो कुछ अपने भी
जिनके संग जीवन बीता है
कुछ अश्रु मिले कुछ खुशिया भी
जब हारके सब कुछ जीता है
है अब तो पुराना खंडहर सा
नयनो का झुरमुट रूठ गया
जो साथ चलता था उस पगडण्डी पे
अब साथ नही है बात नही
बस यादे है बस यादे है
अब मन में नही कोई सपना है
और नहीं कोई अब अपना है
हाय मेरी इस बगिया को
जाने कौन लूट गया
जाने कौन लूट गया - कुछ नयन उनके कुछ कह रहे थे हमसे भी
हमारे नयन भी कुछ कम नही थे
धीरे धीरे वो मुड़के मुझको निहारे
हम भी थोड़ी सी कोशिश वही कर रहे
रोका उनने बहुत अपने नैनों को फिर भी
रोक हमने बहुत अपने नयनो को भी
ना वो रोक पाये न ही हम रोक पाये
चलते चले जा रहे बस इसी कस्मकस में
थोड़ा मुड़के उधर ये मन देखले तो
जैसे पीछे मुड़े तो वो भी हमको देख रहे थे
हाय ये क्या हुआ किसीने मन को छुवा
नजरे झुक जो गयी शर्मा वो गयी
जाने मन ने मेरे उनके मन से कहा
कुछ समझ तो गया कुछ नासमझ सा रहा
लेकिन उस एहसास ने कई सपनो को जन्म दिया
ये नैनों की भासा थी मन में लाखो आशा थी
और एक नई जिज्ञासा ने जैसे जन्म लेलिया - अस्को का आशियाना बनाया है इस दिल ने इस क़द्र
जिसकी नदी ही एक बन गयी है जहन में मेरे
रो रो के सूख गया है पानी आँखों का
फिर भी खुदा की रहमत नही है तो इसमें कुसूर है क्या
मुफ़लिस हु अपनी जिंदगी से
बेकद्र हो गया है ये जमाना भी मुझसे
बस उम्मीद है की आगे जहाँ मिल जायेगा मुझे - क्यों हमारे सपने को चकनाचूर किया
हमने भी कुछ सोचा था पाने लिए
लेकिन उसने हमारी अस्मिता को झकझौर दिया
चंद लम्हों के सुकून की खातिर
हमारे सपनो को तोड़ दिया
अब अन्धकार है चारो तरफ मेरे
भविष्यहीन हो गया ये जीवन
उस बहसी दरिंदे ने मेरे
तन मन को छोड़ दिया
अब नही है जीने की आस मुझे
अब कोई नही है मेरे लिए
क्या क्या सोचा था हमने
उसने ख्वाबोको तोड़ दिया
उसने जिस्म की भूख मिटाई
मुझे दर दर मरने छोड़ दिया
मुझे दर दर मरने छोड़ दिया - एक चाय मिल जाती तो
शाम और दिलनशी हो जाती
यहाँ मौसमी बारिस तो नही है
लेकिन ये मन फिर भी भीग गया
जो तू नही मिली मुझे
गर तेरी यादे मिल जाती तो
सायद ये जिंदगी रंगीन हो जाती
हाँ तुमसे दूर हूँ मै फिर भी
पास यादें है तुम्हारी
और तन्हा ये आलम है
चांदनी रात भी कुछ याद दिला रही है मुझे
कुछ तो है और कुछ जो नही है
बस इसी कस्मकस में तड़पता है ये दिल
हाँ सुकु है थोड़ा ही सही
देखते है ये इंतज़ार कितना सितम ढाता है
ऐसी ही कुछ उन्सुल्झी पहेली है
तभी जिंदगी मेरी इतनी अकेली है
तो चलो अपनी चाय का ही सहारा लेते है
कुछ पल ही सही इसीके बहाने कुछ यादो को अपना बनाते है - दम घुटता है इस आशियाने में कभी कभी
क्योकि सब कुछ है इसमें पर तुम नही
आती है हर पल वो आहट तुम्हारी
जब चुपके आके कान में कुछ कह जाती थी
कुछ आता था समझ में कुछ धुंधला जाता था
कभी कभी अँधेरे में भी नजर आती थी मेरी जानशी - वो लड़ना झगड़ना वो रूठना मनाना
वो रूठ के जाना मेरा घंटो मनाना
कभी कान पकड़ते तो कभी इसारो में कहते
की मान जाओ सनम मान जाओ
अब हम न करेंगे सरारत
बस करेंगे मुहब्बत
उन पलो में भी क्या था
जो आज नही है
तब मेरे सपने ही हकीकत थे
लेकिन आज ख्वाब भी नही है
तंग गालिया हुई अब
अब रहा न वो बचपन
उम्र के इस सफर ने - कुछ दिल की धड़कन सुनते है
कुछ ख्वाब तुम्हारे बुनते है
पलकों के सिरहाने पर
ये नयन ताकते रहते है
तुम आओगे कब आओगे
बस यही सोचते रहते है
नैनों में है श्रृंगार सखी
मन की मुरली हर पल बजती
हम कहते है तुम थक सी गयी
लेकिन वो चलती ही रहती
मै नही थकी मै नही थकी
जाने वो किस से कहती रहती
नैनों में सागर अस्को का
लेकिन होठो पर है मुस्कान सखी
ये कैसी विरह वेदना है
न तुम समझी न मै समझ सकी
नैनों में सागर अस्को का
लेकिन होठो पर है मुस्कान सखी
ये कैसी विरह वेदना है
न तुम समझी न मै समझ सकी

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